फेम मंदनाकरीमी को लोग महज एक बोल्ड और ग्लैमरस मॉडल-ऐक्ट्रेस के रूप में ही जानते हैं, लेकिन असल में वह ऐसी मॉडर्न वुमन की नजीर हैं, जिसने अपनी शर्तों पर जिंदगी जीने का फैसला किया। बचपन में हिजाब की ओट से दुनिया देखने का सपना बुनने वाली इस ईरानी लड़की ने तमाम रूढ़ियों के खिलाफ जाकर अपनी किस्मत लिखी। इन दिनों हॉरर कॉमिडी फिल्म '' की शूटिंग में बिजी मंदना से हमने की यह खास बातचीत: 'वीरे दी वेडिंग' के दौरान सोनम कपूर ने बताया था कि फिल्म में केवल ऐक्ट्रेसेज होने के चलते बजट जुटाने में काफी मुश्किल हुई थी। फिल्म 'कोका कोला' में भी आप और मेन लीड हैं, तो आपको लगता है कि इसे ऑडियंस मिल पाएगी?देखिए, अब वक्त बहुत बदल गया है। 5-10 साल पहले तक फिल्म में हीरो ही मेन होता था, जो ऐक्शन करता था, हीरोइन को बचाता था। अभी यह सब बदल गया है, क्योंकि हमारा समाज बहुत बदला है। अब अगर किसी की शादी नहीं हुई है और उसके बच्चे हैं, तब भी सोसायटी उन्हें एक्सेप्ट करती है, जैसे सुष्मिता सेन हैं। जहां तक फिल्मों की बात है, तो पिछले 2-3 सालों में ऐसी बहुत सी फिल्में आई हैं, जिसमें मेन करैक्टर हीरोइन है। उसे खुद को बचाने के लिए किसी हीरो की जरूरत नहीं है। यह एक बड़ा बदलाव है। मैं बहुत खुश हूं कि मैं इस वक्त इंडस्ट्री में वापस आई हूं, जब हमारे यहां इतनी स्ट्रॉन्ग फीमेल ऐक्ट्रेसेज हैं। आप देखो, करीना कपूर हैं। उनका बच्चा हुआ, फिर भी उन्होंने काम नहीं छोड़ा। जब वह प्रेग्नेंट थीं, तब भी शूटिंग, इवेंट्स कर रही थीं। एकता कपूर हैं, जो इतनी बड़ी प्रड्यूसर, बिजनेस वुमन हैं, वह सरोगेसी के जरिए मां बनी हैं, तो यह सब बहुत ही इंस्पायरिंग है। आप खुद मॉडर्न वुमन के लिए एक नजीर हैं। ईरान के एक रूढ़िवादी परिवार से होने के बावजूद आपने मॉडलिंग-ऐक्टिंग जैसा ग्लैमरस फील्ड चुना। यह सफर कितना मुश्किल रहा?मैं एक रुढ़िवादी परिवार से हूं। जब मैं एक टीनेजर थी, तब मेरे फादर भी साथ नहीं थे। सिर्फ मैं और मेरी मां थी, तो मेरी मां बहुत डरती थी कि कि मेरी बेटी का क्या होगा। जब मैंने अकेले रहना शुरू किया, तो मैं सिर्फ 17-18 साल की थी, तो वह परेशान होती थी कि कहां जाएगी, क्या करेगी। यह वाकई बहुत मुश्किल था। ईरान में धर्म और परिवार बहुत अहम होता है। ऐसे में, अगर आपकी राय किसी ऐसी चीज के खिलाफ होती है, जिसमें सब यकीन करते हैं, तो बहुत मुश्किलें आती हैं। आपको उसका परिणाम भी भुगतना होता है, लेकिन आपको तय करना होता है कि आप किसमें यकीन रखते हैं, आप जिंदगी में क्या पाना चाहते हैं। कड़ी मेहनत, थोड़ी किस्मत और फोकस हो, तो आप जहां चाहें पहुंच सकते हैं। शुरू के दौर में मेरी मां भी ज्यादा सपॉर्टिव नहीं थीं। वह मुझसे ज्यादा बात भी नहीं करती थीं। वह दौर मेरे लिए बहुत मुश्किल समय था, लेकिन 2-3 साल बाद जब मैं मॉडल बन गई, अच्छा काम करने लगी, तो धीरे-धीरे मेरी मां भी यह समझ गईं कि मैं खुद को हैंडल कर सकती हूं। अब मेरी फैमिली को मुझ पर गर्व है। हालांकि, अभी भी मेरे काम की वजह से बहुत से फैमिली मेंबर्स मेरी मां को बोलते रहते हैं कि तुम ऐसा कैसे कर सकती हो? कैसे अपनी बेटी को जाने दे सकती हो? लेकिन असल में इन सब चीजों से फर्क नहीं पड़ता। जो चीज आपको खुशी दे, लाइफ में वही इंपॉर्टेंट है। हाल ही में जायरा वसीम ने धर्म का हवाला देते हुए ऐक्टिंग छोड़ने की बात कही है। आपकी क्या राय है? देखिए, धर्म बहुत अच्छा है। जिस भी भगवान को आप मानते हैं, जिसमें भी आप यकीन रखते हैं, मैं खुद मानती हूं कि जिंदगी में कुछ ऐसा चाहिए, जिसमें आपको भरोसा हो, जिसकी आप पूजा करें। वह जो भी हो, गणेश हो, अल्लाह हो या चर्च में जाना हो, लेकिन इसे थोपा नहीं जाना चाहिए। यह दबाव नहीं होना चाहिए कि तुम्हें करना ही है। मैं कहीं न कहीं जायरा को बहुत अच्छे से समझ पा रही हूं। उसने कहा कि मैं धर्म की वजह से यह सब छोड़ रही हूं। हमारे जैसे लोगों पर ऐसा करने का दबाव होता है, लेकिन जो लोग स्ट्रॉन्ग होते हैं, वे वह जगह छोड़ देते हैं कि मैं यह जगह छोड़कर जा रही हूं, आप लोगों को जो करना है करो। मैं उससे बहुत कनेक्टेड महसूस करती हूं, क्योंकि ईरान में भी बिलकुल ऐसा ही है। आप खुद 17-18 साल की थीं, जब अकेली बिना किसी सपॉर्ट के दूसरे देश में काम करने चल पड़ी थीं, तो आपको यह ताकत कहां से मिली?सच कहूं, तो अब जब मैं एक मैच्योर वुमन के तौर पर पीछे मुड़कर देखती हूं, तो मुझे बिलकुल समझ नहीं आता कि मैंने यह सब कैसे किया। तब मैं 17 साल की थी। मेरे पास पैसे नहीं थे। मेरे पास 600 डॉलर थे, जिससे मैंने टिकट खरीदा और कुछ पैसे मेरे पॉकेट में थे, जिसे लेकर मैं चल पड़ी थी। अब सोचती हूं, तो लगता है कि मैं पागल थी। मुझे कुछ पता नहीं था कि मैं कहां जा रही थी, क्या करना था, मुझे बस इतना पता था कि मुझे उस जगह पर नहीं रहना, जहां मुझे बताया जाए कि मुझे क्या करना है। ईरान में मेरी फैमिली में बोलते थे कि शादी-बच्चा, यही आपकी जिंदगी है और मुझे वह सब अच्छा नहीं लगता था। जब मैं बच्ची थी, तो 14 साल की उम्र तक मैं हिजाब पहनती थी, नमाज पढ़ना वगैरह सब करती थी। मैं अब भी करती हूं, लेकिन तब मेरे पास यह चुनने की आजादी नहीं थी कि मैं क्या करना चाहती हूं। यह ऐसा था कि एक रुटीन है, सब करते हैं, इसलिए तुम्हें भी करना है। लेकिन मुझे वह इंसान नहीं बनना था। 'कोका कोला' में सनी लियोनी के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?सनी के साथ काम करने में बहुत मजा आ रहा है। मैं पहली बार सनी के साथ काम कर रही हूं। वह बहुत स्वीट, फ्रेंडली, हार्ड वर्किंग हैं। वह बहुत स्ट्रॉन्ग वुमन है। वह जैसे अपनी जिंदगी जीती हैं, वह बहुत सराहनीय है। वह हाल ही में मां बनी हैं, तो वह बच्चों के बहुत सारे विडियोज देखती थीं। सच कहूं, तो जितना मैंने सोचा था, उनके साथ काम करने का अनुभव उससे कहीं ज्यादा बेहतर था।
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