‘थप्पड़ से डर नहीं लगता साहब, प्यार से लगता है’, सोनाक्षी सिन्हा ने अपनी डेब्यू फिल्म 'दबंग' के इस डायलॉग से कभी खूब चर्चा बटोरी थी। थप्पड़ और प्यार का यह मेल इन दिनों फिर सुर्खियों में है, क्योंकि अब सुपरहिट फिल्म '' के डायरेक्टर ने प्यार और थप्पड़ के रिश्ते की नई परिभाषा देते हुए कहा है कि वह सच्चा प्यार ही नहीं, जिसमें एक-दूसरे को थप्पड़ मारने की आजादी न हो। संदीप के इस बयान का चौतरफा विरोध हो रहा है। मैं- जानू, मैंने आपसे सच्चा प्यार किया है। वह- तो अब थप्पड़ खा…। यह सुनने में बेशक अजीब लगे, लेकिन बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा रही फिल्म 'कबीर सिंह' के निर्देशक संदीप रेड्डी वंगा की मानें, तो अगर आपने किसी से सच्चा प्यार किया है, तो थप्पड़ खाने के लिए तैयार रहें। संदीप के मुताबिक, 'जब आप किसी पुरुष या स्त्री से बहुत गहराई से प्रेम करते हैं या गहरे जुड़ते हैं, तो उसमें काफी ईमानदारी होती है। ऐसे में अगर आपके एक-दूसरे को थप्पड़ मारने की आजादी नहीं है, तो मुझे नहीं लगता है उनके बीच कुछ (प्यार) है।’ संदीप अपने एक हालिया इंटरव्यू में उन आलोचकों को जवाब दे रहे थे, जिन्होंने 'कबीर सिंह' को हिंसक और मर्दानगी का महिमामंडन करने वाला बताया था। संदीप यहीं नहीं रुके, उन्होंने तो फिल्म को प्रॉब्लमैटिक बताने वाली लड़कियों के लिए यह तक कह दिया कि उन्होंने कभी सच्चे प्यार का अनुभव ही नहीं किया है। संदीप के इस बयान पर तमाम महिलाओं ने खुलकर नाराजगी जतायी और प्यार में किसी भी तरह की हिंसा को गलत बताया। ये प्यार नहीं, डोमेस्टिक वॉयलेंस है संदीप रेड्डी वंगा भले ही प्रेमी-प्रेमिका या पति-पत्नी के रिश्ते में थप्पड़ मारने को प्यार करार दें, लेकिन भारतीय कानून इसे डोमेस्टिक वॉयलेंस यानी घरेलू हिंसा मानता है। यह शायद संदीप रेड्डी जैसे मर्दों की सोच का ही नतीजा है कि नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक, हमारे यहां 15 से 49 साल की उम्र तक 27 प्रतिशत महिलाएं शारीरिक हिंसा का शिकार होती हैं, जबकि 31 प्रतिशत शादीशुदा महिलाएं अपने पति द्वारा फिजिकल, इमोशनल या सेक्सुअल हिंसा झेलती हैं। इसमें शारीरिक हिंसा सबसे आम (27 प्रतिशत) होती है। इसी वजह से बहुत सी प्रगतिशील महिलाओं ने खुलकर संदीप रेड्डी के इस बयान की आलोचना की। उन्हीं में से एक हैं, तमाम सामाजिक मुद्दे पर बेबाक राय रखने वाली ऐक्ट्रेस रेणुका शहाणे। बकौल रेणुका, 'यहां फिल्म की बात नहीं हो रही है। वह असल जिंदगी की बात कर रहे हैं। उनका यह कहना कि जो औरतें रिलेशनशिप में हिंसा का विरोध कर रही हैं, उन्होंने प्यार ही महसूस नहीं किया, यह बड़ा अजीब बयान है। मैं अपनी जिंदगी बहुत प्यार से अपने साथी के साथ जी रही हूं। हमारी शादीशुदा जिदंगी बहुत अच्छी है। सफल है, उसमें बहुत ही ज्यादा प्यार और इज्जत है और उसमें कभी भी हमने एक दूसरे पर हाथ नहीं उठाया। मुझे लगता है कि किसी भी प्यार वाले रिश्ते में हिंसा जायज ही नहीं है।' बहुत हुआ कि जो प्यार करता है, वही मारता है रेणुका आगे कहती हैं, 'जैसे संदीप रेड्डी कह रहे हैं, वैसा हम अपने समाज में भी देखते है कि भइया, आप जिससे सबसे ज्यादा प्यार करते हैं, उसी पर हक जताते हैं, गुस्सा निकालते हैं। लेकिन किसी पर हाथ उठाना प्यार या इज्जत के दायरे में नहीं आता है। वह घृणा करने वाली चीज है। हिंसा किसी भी तरह से गलत ही है। आप हिंसा का समर्थन कर ही नहीं सकते और रिलेशनशिप में तो बिलकुल भी नहीं, क्योंकि इससे आप रिश्ते की गरिमा क्रॉस करते हैं। यह लिबर्टी की बात नहीं है। मेरे और मेरे पति का रिश्ता बहुत ईमानदारी पर बेस्ड है। हम एक-दूसरे से सबकुछ शेयर कर सकते हैं, हमारे पास लिबर्टी है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि अपना फ्रस्ट्रेशन एक-दूसरे पर हिंसा के रूप में निकालें। यह मुझे सही नहीं लगता। आप इसे पजेसिवनेस का नाम भी नहीं दे सकते। यह अब्यूज ही है, लेकिन हमारे यहां बेवजह उस हिंसा को एक्सेप्ट करने का दबाव डाला जाता है। जब भी कोई विरोध करता है, तो हिंसा करने वाला कहता है कि ये प्यार है, आप समझ नहीं पाए। इसका नतीजा यह होता है कि लोग रास्ते चलते महिलाओं, कॉलेज जाती बच्चियों को स्टॉक करते हैं कि ये प्यार है, आप अक्सेप्ट कर लो। अगर लड़की मना करती है, तो उस पर ऐसिड डाल दिया जाता है या उसे कॉलेज बदलना पड़ता है। यह सब उसे क्यों करना पड़े? ये मानसिकता हमारे समाज के लिए ही ठीक नहीं है। मुझे लगता है कि ऐसी मानसिकता को हमें समर्थन नहीं देना चाहिए।' प्यार में इज्जत होती है, मारपीट नहीं खुद अपनी शादी में घरेलू हिंसा का शिकार हुईं ऐक्ट्रेस-मॉडल गुस्से में कहती हैं, 'मैंने जब वह इंटरव्यू देखा, तो मुझे बहुत ही गुस्सा आया। कोई इतनी बेवकूफाना बात कैसे कह सकता है कि अगर आप प्यार या रिलेशनशिप में हैं, तो आप एक औरत को मार सकते हैं। यह किसी भी संस्कृति में किसी भी तरह से सही नहीं है। मुझे बहुत अफसोस है कि इतनी बड़ी फिल्म के डायरेक्टर का माइंडसेट ऐसा है। ऐसे इंसान को शर्म आनी चाहिए। आप थप्पड़ मारने को जनरलाइज नहीं कर सकते। इससे दिखता है कि आप एक सेंसिबल इंसान नहीं हैं। वह किसी और दुनिया में ही रह रहे हैं, जहां सिर्फ मैन ईगो ही अहम है। सच्चे प्यार में रिस्पेक्ट होता है। सच्चे प्यार में औरत को मारना नहीं होता है। मुझे अफसोस है कि ऐसा गंवार इंसान हमारी इंडस्ट्री का हिस्सा है।' वहीं, ऐक्ट्रेस शमा सिकंदर कहती हैं, ‘मुझे नहीं लगता कि किसी भी इंसान को यह हक है कि वह किसी दूसरे इंसान को मारे। प्रेम की जो परिभाषा मैंने जानी है, उसके हिसाब से मेरा प्रेम किसी को मारना नहीं सिखाता है। मेरी नजर में सच्चा प्रेम वह है, जिसमें दूसरे को अपना सबकुछ दे दे, तो उसमें चांटा-वांटा मारने का सवाल ही पैदा नहीं होता है। चांटे की बात तब आती है, जब आपका ईगो बीच में आता है। मेरे प्रेम में ईगो नहीं है और जब आप सरेंडर भाव में होते हैं, तो चांटा मारने का खयाल ही नहीं आ सकता।’ तो राज कपूर थे पहले कबीर सिंह! सोशल मीडिया पर फिल्म 'आवारा' का वह आइकॉनिक सीन भी खूब शेयर हो रहा है, जिसमें राज कपूर जंगली कहने पर नर्गिस को कई थप्पड़ लगाते हैं और फिर भी नर्गिस उनके पैर पकड़ लेती हैं। लोग राज कपूर को पहला 'कबीर सिंह' तक कह रहे हैं, लेकिन मंदाना के मुताबिक, बेशक हमारी फिल्मों में मैस्कुलैनिटी और उस तरह के प्यार को सेलिब्रेट किया जाता रहा है, लेकिन वक्त बदल रहा है। अवारा कितने साल पहले आई थी। आज हम 2019 में हैं। समाज बदल रहा है। आज औरतों ने हर क्षेत्र में अपना नाम कमाया है, आज भी हम वही स्टीरियोटाइप नहीं ढोते रहेंगे। वहीं, फिल्मों में ऐसे प्यार की पैरोकारी किए जाने पर रेणुका का कहना है कि यह तरीका ताउम्र हम पर थोपा गया है। तमाम परिवारों में ऐसा होता है, मर्द औरत को पीटते हैं और उसको जायज माना जाता है। ये मान लेते हैं कि जैसे माता-पिता बच्चों को गलती के लिए पीटते हैं, वैसे ही औरत गलती करेगी, तो मर्द पीटेंगे। यह उनका हक है। लेकिन मैं फिर कहती हूं कि फिल्म सिर्फ एक फिल्म है। मैं मान लूंगी कि चलो, रामायण, महाभारत का असर नहीं पड़ा, तो कबीर सिंह का भी नहीं पड़ेगा, लेकिन डायरेक्टर की इस सोच का समर्थन नहीं किया जा सकता। अर्जुन अवॉर्डी बैडमिंटन प्लेयर ज्वाला गुट्टा ने कहा, ' फिल्म तो बस फिल्म थी, लेकिन फिजिकल अब्यूज को सही ठहराना? अगर आप किसी को प्यार करते हैं, तो आपको उसे थप्पड़ मारने का हक है? गॉश… इस बंदे को बिना फिजिकली चोट पहुंचाए प्यार दिखाने की जरूरत है!! निराशाजनक !!' वहीं ऐक्ट्रेस कुबरा सैत कहती हैं, 'अगर आप अपने प्रेमी को जब चाहे थप्पड़ नहीं मार सकते और छू नहीं सकते, तो मुझे अपनी भावनाएं सच्ची नहीं लगतीं। संदीप रेड्डी वंगा, मैं तंज कर रही हूं! नहीं सर, ऐसे प्यार की परिभाषा नहीं दी जाती है। ये एक जहरीला रिश्ता होता है। किसी रिश्ते को ऐसा नहीं होना चाहिए।'
from Entertainment News in Hindi, Latest Bollywood Movies News, मनोरंजन न्यूज़, बॉलीवुड मूवी न्यूज़ | Navbharat Times https://ift.tt/2NTwq1c
No comments:
Post a Comment